JEEVAN ME APEKSHAYE RAKHNA UCHIT NHI HOTA...

जीवन मे अपेक्षाएं रखना उचित नही होता...


BY AMIT ANANT

सब पाने की चाह में लोग अँधे हो गए।
सब चाहने की राह में लोग गंदे हो गए।
जो सच्चे राह चल लिए अपने जीवन मे,
वो दुनिया के अच्छे से लोग बंदे हो गए।।

       JEEVAN ME APEKSHAYE RAKHNA UCHIT NHI HOTA... जीवन मे अपेक्षाएं रखना उचित नही होता...जी हाँ, आजकल के समय मे लोग अपेक्षाएं बहुत रखते है, जो कि बिलकुल अनुचित होती है। जबकि सही मायने में इन्सान को केवल अपने कर्मों को ईमानदारी से करना चाहिए ,किसी प्रकार की अपेक्षाएं नही रखनी चाहिए...परन्तु दुर्भाग्य की बात यह है कि लोग कुछ भी करते है, तो उसके प्रति एक अपेक्षा रख लेते है,  की हमने यह किया है इसका कुछ ना कुछ फायदा जरूर ही मिलेगा, जो कि बिलकुल गलत है। अगर हम कर्मो के प्रति हरदम अपेक्षा ही रखेगे, तो इंसानियत कहाँ रहेगी, प्रेम भाव कहाँ रहेगा। ये सब तो खत्म ही हो जाएगा। क्यो कि, जहाँ पर स्वार्थ रूपी अपेक्षाएं आ जाती है, वहाँ पर प्रेम, भाव, समर्पण और इंसानियत नही रह जाती है।और यही सबसे बड़ा कारण बनता जा रहा है, जिससे इंसानियत ,प्रेम,भाव और समर्पण धीरे-धीरे कम होता जा रहा है। वैसे भी कर्म करना ही तो हमारा काम होता है बाकी उस परमात्मा पर छोड़ना चाहिए परन्तु ऐसा होता ही नही है।


     JEEVAN ME APEKSHAYE RAKHNA UCHIT NHI HOTA...आज के समय मे हर जगह अपेक्षाएं बहुत ज्यादा है। चाहे रिश्ते-नाते हो या फिर समाज हो, या फिर कोई दफ्तर हो, या  कोई काम धंधे हो सब जगह अपेक्षाओ का भाव बढ़ता जा रहा है। और इंसानियत, प्रेम, भाव ,समर्पण और सत्य धीरे धीरे कम होता जा रहा है। और इसका प्रभाव आगे आने वाले समय मे इतना ज्यादा हो जाएगा कि कुछ पूछो मत। दुर्भाग्य की बात तो यह कि चाहे कोई छोटा कार्य हो या कोई बड़ा कार्य हो सब मे केवल स्वार्थ रूपी अपेक्षा ही दिखाई देती है।और चाहे कोई बुजुर्ग हो या फिर आसहाय हो, परंतु हर एक इंसान के प्रति एक दूसरे इंसान को अपेक्षा रहती है। अगर कोई किसी का सम्मान भी करता है। तो वहाँ पर भी अपेक्षा होती है। अब ये समझ में नही आता है कि क्या हो रहा है।और क्यो हो रहा है।आखिर क्यो मानवता का स्तर नीचे गिरता जा रहा है।क्यो कोई भी इंसान इन सब बातों को नही समझना चाहता है।आखिर हमारी संस्कृति एवं संस्कार क्यो और कहाँ लुप्त होते जा रहै हैं।
      JEEVAN ME APEKSHAYE RAKHNA UCHIT NHI HOTA...आज के समय मे अगर कोई किसी से सच्चा प्रेम भी करता  है।तो सामने वाला इंसान उसके साथ सच्चे प्रेम में नही जुड़ता है। बल्कि उसके प्रेम पर भी अपेक्षा रख लेता है। और सोचता है कि चलो ये मुझ से प्रेम करता/करती है तो इस से थोड़ा लाभ लेते है, इसके साथ टाइम पास करते है और खुद के सोच के माध्यम से वो करते भी ऐसे है। कुछ समय या कुछ वर्ष साथ रहे , फिर कोई दूसरा/दूसरी मिल गया/गयी तो उसको भी छोड़ देते है।क्यो कोई किसी के ज़ज्बातो को समझना नही चाहता है।और भावनाओं से खेलने की कोशिश करते है।कारण सिर्फ वही की, जो उससे प्रेम के प्रति अपेक्षा रखे वो नही मिल पाया इस वजह से प्रेम को लज्जित होना पड़ता है।और उस से भी लोगों को लोगो के प्रति मानवता की ही हानि होती है।
         JEEVAN ME APEKSHAYE RAKHNA UCHIT NHI HOTA...आज के समय मे कोई अच्छा या सामाजिक कार्य भी कर रहा है,तो भी लोग अपनी सोच के अनुसार ऐसा समझ लेते है कि यह ऐसा कर रहा है तो जरूर इसमें इसका कोई बहुत बड़ा लाभ होगा तभी तो ऐसा कर रहा है।और अपना माइंड लगा कर ये सोच लेते है कि अब इस से हमको कुछ फायदा उठाना है।उस से अपेक्षा रख लेते है।और उससे कुछ दिनों में कोई फायदा नही मिला तो उसके अच्छे कार्य को नीचा दिखाने के लिए उसमे भी दोष लगाना शुरू कर देते है।या फिर किसी न किसी तरह से उसको समाज मे नीचा दिखा देते है।क्यो की जो उससे अपेक्षा रखी थी, वो तो पूरी हुई ही नही, तो कैसे किसी को अच्छा और सामाजिक कार्य करने देंगे। जो इंसान सच्चाई से ,ईमानदारी से ,अच्छा और सामजिक कार्य कर रहा होता है, उसका भी हौसला टूट जाता है।तो वो चाह कर भी कुछ अच्छा नही कर पाता है।और ये सब कारण केवल एक ही है कि लोग अपेक्षाएं क्यो रखते है।
      JEEVAN ME APEKSHAYE RAKHNA UCHIT NHI HOTA... आज के समय के अनुसार लोगों की समझ को सोच, को क्या हुआ है ये कहना और समझना मुश्किल हो गया है।परंतु एक बात कहना जरूरी है कि, हम सभी को कभी भी, किसी के प्रति, किसी भी प्रकार की अपेक्षा नही रखनी चाहिए ।बल्कि पूरी ईमानदारी, मेहनत ,प्रेम, भाव और समर्पण से अपने कर्मो को एवं लोगो की सेवा करनी चाहिए और आनंदित हो कर अपने इस प्यारे से जीवन को जीना चाहिए।
धन्यवाद

@Amit anant
          Delhi

Comments

  1. जी बिलकुल सही बात है अपेक्षा तो आज के समय मे सभी रखते है।

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    1. बहुत बहुत धन्यवाद जी💐💐💐

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